लेखनी कहानी -01-Sep-2022 सौंदर्या का अवतरण का चौथा भाग भाग 5, भाग-6 भाग 7 रक्षा का भारत आना ८भाग २१भ

31समधिओं की फोन वार्ता-   

श्रवन के पिताजी ने फोन उठाया, उधर से श्रवन के ससुर जी बोल रहे थे। श्रवन के पिताजी ने हेलो ........कहकर समधी जी को नमस्कार अभिवादन किया। उधर से श्रेया के पिताजी ने भी उनको अभिवादन किया और बच्चों का हाल-चाल पूछा- उनके पिताजी ने बहुत खुश होकर श्रेया के पिताजी को बताया। कि अब मेरी बहू बिल्कुल ठीक है, और शायद एक-दो दिन में वह घर भी आ जाएगी। मेरे लिए बहुत ही खुशी का बात है, और मैं आज बहुत खुश हूं।  हमारे बच्चे घर आने वाले हैं, और आपके लिए भी है कुछ करने का समय है। श्रेया के पिता जी ने कहा- मैंने आपको इसीलिए फोन किया है कि मैं आपसे कुछ बात करना चाहता हूं। श्रवन के पिताजी ने कहा हां... ‌ हां ......बताइए। तब श्रेया आगे पिताजी ने कहा कि श्रेया मुश्किलों संघर्षों और बीमारियों के बाद घर वापस आ रही है, अपनी बेटी के साथ। तो हमें कुछ ऐसा करना चाहिए, कि उन दोनों के घर आने की खुशी में चार चांद लग जाए। श्रवन के पिताजी ने कहा- हां बताइए। आपके मन में क्या ....चल रहा है, कुछ तो बताइए। श्रेया के पिताजी ने कहा - कि उनके स्वागत में हमें धूम धड़ाका माहौल बना के रखना चाहिए । ठीक है आप जैसा चाहते हैं हम वैसा ही करेंगे। ऐसा करिए आप आ जाइए। हम लोग बैठ कर बातें कर लेंगे। पिताजी ने कहा -हां... ठीक है ,चलो.... मैं घर आता हूं, घर आकर बात करूंगा। श्रेया के पिताजी ने  श्रेया की मां से कहा-  कि चलो हम लोग श्रेया से भी मिल आएंगे, और समधी जी से बात भी कर लेंगे बच्चों के स्वागत की। श्रेया की मां भी यही चाहती थी, कि बच्चे अपने संघर्ष बीमारी और कष्टों के बाहर आ रहे हैं।  उनका स्वागत धूमधाम से होना चाहिए, आखिर तो नये मेहमान को लेकर आ रहे हैं। श्रेया के मां बाप खाना पीना खा पी कर दोनों दोपहर को घर से निकल पड़े। वे  सीधे श्रवन के घर गए ,और उनके पिता के साथ बैठकर बहुत सारी बातें की। उनकी खुशी में शामिल होने के लिए और बच्चों के स्वागत की तैयारी करने की बात को सीक्रेट रखने का विचार बनाया। वह बच्चों को सरप्राइज देना चाहते थे। अब सोचना यह था, कि स्वागत की तैयारी कैसे करें। कैसे उनको सरप्राइस दे, इस सब के बारे में बात करनी थी। आप इस सब के लिए क्या किया जाए गहन सोच-विचार के बाद तीनों समधी समधन बात करके कुछ निश्चय लेना चाहते थे। परंतु कुछ समझ में नहीं आ रहा था। अब उन्होंने एक नई जनरेशन की सोच को शामिल करने के लिए सोचा, और रक्षा को शामिल करने की बात सोची तो तीनों ने उस में सहमति जता दी। अब उन्होंने बात करने के लिए रक्षा को बुलाया। उन्होंने आवाज लगाई, रक्षा..... रक्षा..... रक्षा बोली हां... पिताजी मैं आ रही हूं , रक्षा तुरंत पिताजी के पास आई और बोली क्या हुआ, पिता जी बताइए। सभी ने रक्षा से पूछा कि  श्रवन और श्रेया के स्वागत में क्या करना चाहिए, कुछ आईडिया तुम्हारे दिमाग में आ रहा हो तो बताओ। रक्षा ने कहा- हां पिताजी मैं भी कुछ सोच रही थी, कि इतने दिनों बाद भैया भाभी अस्पताल से घर आने को हैं, तो कुछ तो करना चाहिए। कुछ ऐसा जो देखकर वह अपने सारे दुख दर्द भूल जाएं ।और खुशी में शामिल होकर उनका मन रम जाए ,और उनको लगे घर के लोग उनको कितना प्यार करते हैं, उनके लिए कितने परेशान थे, उनको यह महसूस करवाना बहुत जरूरी है। और वैसे भी एक नये मेहमान का आगमन हो रहा है। श्रेया भाभी एक नये मेहमान को लेकर घर आ रही है,तो घर मेंखुशी का माहौल बनाना तो बनता है।

अतः रक्षा ने एक गेट टू गैदर का प्रोग्राम बनाया। उसने एक छोटी सी पार्टी रखने को कहा- जिस में कुछ खास लोग घर के और दो चार बहुत खास फ्रेंड्स में या रिश्तेदारों को बुलाने की बात कही। पार्टी तो वैसे भी बनती है क्योंकि एक नए मेहमान का जन्म हुआ है घर पर। सालों बाद इतनी बड़ी खुशी आई है, तो पार्टी का विचार सर्व सम्मति से पास हो गया। पार्टी के लिए जगह ढूंढने का काम रक्षा को सौंपा गया, और पार्टी का मीनू क्या डिसाइड करना है, अभी उस पर बात करनी थी। रक्षा ने पिताजी को आश्वासन दिया, कि वह सब मैनेज कर लेगी और एक-दो दिन में आपको पूरा मीनू और जगह का पता भी दे देगी। जहां पार्टी करनी है। रक्षा ने सारी चीजें ढूंढना शुरू किया और अपने फ्रेंड सर्किल में अपने दोस्तों से बात करके पार्टी का मीनू भी तैयार कर लिया। परंतु यह बात अभी मां को पता नहीं थी। रक्षा ने फोन पर भाई श्रवन से बात की और  कहा कि उसकी मां से बात करा दें। श्रवन ने तुरंत ही मां से रक्षा की बात करवा दी। रक्षा ने मां को पूरी योजना के बारे में बताया और कहा- कि वह भाभी का स्वागत जोरशोर से करना चाहती हैं। सभी की यही इच्छा है। रक्षा द्वारा बताई गई सारी बातें सुनकर मां रक्षा से बोली- बेटा अभी आपको इन चीजों की समझ नहीं है, अभी श्रेया इतने बड़े खतरे से जूझ कर बाहर आई है। अभी यह सब ठीक नहीं रहेगा,अभी उसके शरीर में इतनी जान नहीं है, उसे देखभाल की बहुत जरूरत है।पार्टी करने पर बेटा सब कुछ डिस्टर्ब हो जाएगा,और फिर से कहीं उसकी हालत बिगड़ गई तो लेने के देने पड़ जाएंगे। पार्टी हम करेंगे लेकिन अभी नहीं कुछ दिन रुकने के बाद, रक्षा मां की बात सुनकर नाराज हो गई, क्योंकि उसके मन में तो पार्टी की खुश उथल पुथल मचा रही थी। मां के मना करने पर मानना तो पड़ेगा ही, लेकिन इसे अपना मन भी मारना पड़ेगा। रक्षा ने ये बात पिताजी को बताई ।पिताजी को मां की बात समझ में आ गई। उन्होंने अपना इरादा बदल दिया। पिताजी बोले- वही ठीक है, जो मां कह रही है। मां ने बहुत दुनिया देखी है, मां को अच्छे बुरे की समझ है। इसलिए मां की बात मान कर इस समय पार्टी कैंसिल करते हैं, और फिर श्रेया के घर आने के बाद।जब मां कहेगी, तब हम धूमधाम से पार्टी करेंगे। रक्षा ने पिताजी की बात मान ली गई।अभी जब श्रेया घर आएगी तब श्रेया उसके बच्चे कीआरती उतार कर घर में प्रवेश करा लिया जाएगा और कूछ पैसे उतार के गरीबों में बांट दिए जाएंगे।

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5 Comments

shweta soni

20-Sep-2022 12:37 AM

Nice post

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Priyanka Rani

19-Sep-2022 08:58 PM

Nice post

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Seema Priyadarshini sahay

19-Sep-2022 04:50 PM

बेहतरीन रचना👍👌👌

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